
पास्ट लाईफ रिग्रेशन
Past life regression (पूर्व जन्म प्रतिगमन) एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है जिसमें व्यक्ति को उनके पूर्व जन्मों की यादों और अनुभवों में ले जाया जाता है। कभी कभी ऐसा होता है कि ब्यक्ति अपनी समस्या को सुलझाने के लिये बहुत प्रयत्न करता है, लेकिन उसकी समस्या का समाधान नही होता, तब उस पर Past life regression मैथड का प्रयोग किया जाय तो यह पता लगाया जा सकता है कि उसके पिछले जन्म के कर्म कैसे थे। यह प्रक्रिया अक्सर आत्म-खोज, व्यक्तिगत समझ, और आध्यात्मिक विकास के लिए की जाती है। इसी आधार पर समस्या की जड का पता लगाया जाता है। यहाँ पर इसका संक्षिप्त विवरण में दिया गया है:
पूर्व जन्म प्रतिगमन का उद्देश्य
- आत्म-जागरूकता बढ़ाना: व्यक्ति अपनी आत्मा के विकास और जीवन के उद्देश्य को समझ सकते हैं।
- मानसिक और भावनात्मक उपचार: पूर्व जन्मों से जुड़ी समस्याओं और दर्द का समाधान कर सकते हैं।
- रिश्तों की समझ: वर्तमान जीवन में रिश्तों की गहराई को समझ सकते हैं, जैसे कि क्यों कुछ लोगों के साथ हमारा विशेष संबंध होता है।
प्रक्रिया
- आरामदायक स्थिति: व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बिठाया या लेटाया जाता है।
- मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन: प्रशिक्षित थेरेपिस्ट व्यक्ति को गहरी रिलैक्सेशन की स्थिति में ले जाता है।
- यादों की खोज: धीरे-धीरे व्यक्ति को उनके पूर्व जन्मों की यादों में ले जाया जाता है।
- विश्लेषण और समझ: उन यादों का विश्लेषण और वर्तमान जीवन के साथ उनकी प्रासंगिकता समझी जाती है।
लाभ
- आत्मज्ञान: आत्मा की यात्रा और उसके विभिन्न पहलुओं को जानने में मदद मिलती है।
- भावनात्मक संतुलन: अवसाद, चिंता, और अन्य भावनात्मक समस्याओं का समाधान हो सकता है।
- रिश्तों की स्पष्टता: व्यक्तिगत और पारिवारिक रिश्तों में सुधार आ सकता है।
सावधानियाँ
- प्रशिक्षित थेरेपिस्ट: हमेशा एक योग्य और अनुभवी थेरेपिस्ट के साथ ही यह प्रक्रिया करनी चाहिए।
- मानसिक स्थिति: यह सुनिश्चित करें कि व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ हो और इस Past life regression के लिए तैयार हो।
अनुभव
- व्यक्ति अक्सर अपने पूर्व जन्मों के दृश्य, ध्वनि, गंध, और भावनाओं को अनुभव करता है।
- कभी-कभी, व्यक्ति को अज्ञात जगहों और समयों के बारे में जानकारी मिल सकती है, जो उनकी वर्तमान जीवन से मेल खाती है।
Past life regression एक गहन और अद्वितीय अनुभव है जो व्यक्ति को उनकी आत्मा की यात्रा और उनके जीवन के गहरे पहलुओं को समझने में मदद कर सकता है। इसे तभी सीखा जा सकता है, जब आप “हिप्नोसिस” का अभ्यास कर चुके हो।